अयोध्या राम मंदिर विवाद मामला : समझौते से बन जाए बात तो बेहतर, फैसला अंतिम विकल्प

Share this post on:

अयोध्या राम मंदिर विवाद मामला : समझौते से बन जाए बात तो बेहतर, फैसला अंतिम विकल्प मुस्लिम  पर्सनल लॉ बोर्ड जनरल सेक्रेटरी के बयान से पक्षकारों ने झाड़ा पल्ला 

अयोध्या,17 जुलाई (हि.स.)। राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी के बयान से पक्षकारों ने पल्ला झाड़ लिया है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकारों का कहना है कि अगर समझौते से बात बन जाए तो यह देश और समाज के लिए बेहतर है, नहीं तो सर्वोच्च अदालत का फैसला ही अंतिम है। 
 

कई दशकों पुराना मंदिर मस्जिद विवाद काया चर्चित मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के समक्ष निर्णायक फैसले के लिए विचाराधीन है। वर्तमान में देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय कमेटी मंदिर मस्जिद विवाद से जुड़े सभी पक्षकारों से बातचीत कर सुलह समझौते की कवायद में जुटी है। 
 

इसी प्रकरण में एक पक्ष कार गोपाल सिंह विशारद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मध्यस्थता कमेटी को भंग कर प्रकरण में अंतिम फैसले के लिए रोजाना सुनवाई की मांग की थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से प्रगति रिपोर्ट मांगी है और प्रगति से संतुष्ट न होने पर 24 जुलाई से रोजाना सुनवाई की बात कही है। 

इस संबंध में पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि मेरे वालिद भी शुरू से इस पक्ष में रहे कि अगर इस मामले का आपसी समझौते से हल निकल जाए तो देश के लिए अच्छा होगा और आपसी भाईचारा बढ़ेगा। हम भी इसी के पक्ष में हैं। अगर पैनल के जरिए आपसी बातचीत से मामला हल हो जाता है तो इससे अच्छी बात और कोई हो ही नहीं सकती | इस मामले में हम किसी तरह की कोई लेन-देन की बात नहीं कह रहे। देश का संविधान और कानून इस मामले का फैसला करे। इस फैसले को हम सभी को मानना चाहिए | रही बात मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी की तो वो इस मुकदमे में कोई पक्षकार नहीं है और उनकी तरह न जाने कितने लोग हैं जो अपनी राजनीति चमकाने के लिए बेवजह अनर्गल बयान दिया करते हैं। उनके इस बयान का कोई मतलब नहीं है। सभी पक्षकार चाहते हैं कि जल्दी मुकदमे का फैसला हो और अगर यह बात आपसी समझौते से हल हो जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।
 

हिन्दू पक्षकार धर्म दास ने कहा, इनका कोई अस्तित्व नहीं 
 हिन्दू पक्षकार निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महंत धर्मदास का कहना है कि मौलाना वली रहमानी के बयान का कोई अस्तित्व नहीं है। उनके बयान पर चर्चा करना और प्रतिक्रिया देना ही बेकार है।सुप्रीम कोर्ट ने आपसी समझौते से मामला हल करने की सलाह दी है और दोनों ही पक्ष देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मध्यस्था कमेटी के साथ काम भी कर रहे हैं | उम्मीद जताई कि जल्द ही इस विवाद का निस्तारण हो जाएगा। मामला विचारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है। अदालत सभी पक्षों को सुनकर निर्णय सुनाएगी। श्री दास ने कहा कि कुछ लोग मामले को उलझाने के लिए बयान देते रहते हैं। किसी को भी इस तरह के बयान और ऐसे लोगों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
इन दोनों पक्षकारों का बयान मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी द्वारा एक अंग्रेजी अखबार को दिये बयान “बाबरी मस्जिद के निर्माण से नीचे कुछ भी मान्य नहीं है” के बाबत आया ह

Share this post on: