उप्र में योगी सरकार ने 7 पीपीएस अफसरों को जबरन किया रिटायर

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– योगी सरकार अब तक 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को कर चुकी है जबरन रिटायर 

– प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट में लगभग छह सौ अधिकारियों के नाम

– उत्तर प्रदेश के 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के रडार पर 

लखनऊ, 07 नवम्बर (हि.स.)। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात पीपीएस अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया है। योगी सरकार ने प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार की है। इस लिस्ट में लगभग छह सौ अधिकारियों के नाम हैं। इन अधिकारियों के साथ ही चार सौ अधिकारियों को कर्मचारियों को चेतावनी जारी की गई है कि उनके खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जा सकता है। योगी सरकार इससे पहले भी कई अधिकारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है।

अनिवार्य सेवानिवृत्ति पाने वाले पीपीएस अधिकारियों में सहायक सेनानायक 15 वीं वाहिनी पीएसी आगरा में कार्यरत अरुण कुमार, जनपद फैजाबाद में पुलिस उपाधीक्षक रहे विनोद कुमार गुप्ता, जनपद आगरा रहे में पुलिस उपाधीक्षक रहे नरेन्द्र सिंह राणा, पीएसी झांसी में सहायक सेनानायक रहे रतन कुमार यादव, मुरादाबाद में मंडलाधिकारी रहे संतोष कुमार सिंह, 27 वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर में कार्यरत रहे तेजवीर सिंह यादव और 30 वीं पीएसी वाहिनी गोण्डा में सहायक सेनानायक रहे तनवीर अहमद खान के नाम शामिल हैं। 

प्रदेश सरकार को इन सभी अधिकारियों के बारे में गम्भीर शिकायतें मिल रही थी जिसमें भ्रष्टाचार की ज्यादा शिकायतें थीं। गृह विभाग की समीक्षा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट और नाकारा पुलिसकर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने के निर्देश दिए थे। उसके बाद एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने सभी इकाइयों और जिलों में बनाई गई स्क्रीनिंग कमिटी की रिपोर्ट तलब की। इसके बाद योगी सरकार ने भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ ऐक्शन लेना शुरू किया। 

पिछले 2 वर्षों में योगी सरकार विभिन्न विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है। इन दो वर्षों में योगी सरकार ने 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। इतना ही नहीं, इस कार्रवाई के अलावा 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के रडार पर हैं। गृह विभाग में सबसे ज्यादा 51 लोगों को जबरन रिटायर किए गए थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 साल की उम्र में ही सुस्त अधिकारियों को रिटायरमेंट देने का ऐलान जुलाई में किया था। इसके तहत कई बड़े अफसरों के साथ कर्मचारी भी रडार पर आए हैं।

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