उकंपनी के तार इकबाल मिर्ची से जुड़े होने के शक में ईडी कर चुकी है छापेमारी
उप्र पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सतर्कता जांच का किया फैसला
लखनऊ, 02 नवम्बर (हि.स.)। उप्र पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ट्रस्ट के अरबों रुपये विवादास्पद कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) में जमा करने और कंपनी के तार अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथी रहे इकबाल मिर्ची से जुड़े होने की खबरों के बाद प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इकबाल मिर्ची से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में डीएचएफएल और अन्य संबंधित कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी कर चुका है
इसको लेकर अब विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि उप्र पॉवर सेक्टर एम्प्लॉईस ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के इस घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए प्रकरण की सीबीआई से जांच कराई जाये। इसके साथ ही घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाये। वहीं उप्र पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने कर्मचारियों की भविष्य निधि के इस असुरक्षित निवेश के मामले में सतर्कता जांच कराने का फैसला किया है। प्रकरण को लेकर कारपोरेशन के तत्कालीन महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) व ट्रस्ट के सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
संघर्ष समिति ने गंभीर चिंता प्रकट करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला बताते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस खुलासे के बाद सीबीआई जांच बेहद जरूरी हो गई है। संघर्ष समिति ने यह भी मांग की है कि पॉवर सेक्टर एम्प्लॉईस ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाये और उसमें पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाये।
दरअसल तत्कालीन महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) प्रवीण कुमार गुप्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण लिमिटेड आगरा के महाप्रबंधक (लेखा एवं संप्रेक्षा) पद पर तैनात थे। प्रवीण उप्र स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट में जमा रकम को असुरक्षित लेनदारों की श्रेणी में आने वाली डीएचएफसीएल में निवेश करने के प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थे।
डीएचएफएल में जमा किये गए 2631 करोड़ रुपये
विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने शनिवार को बताया कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ट्रस्ट में जमा धनराशि और उसके निवेश पर तत्काल एक श्वेतपत्र जारी करे जिससे यह पता चल सके कि कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई की धनराशि कहां-कहां निवेश की गई है। उन्होंने कहा कि मार्च 2017 से दिसम्बर 2018 के बीच डीएचएफएल में 2631 करोड़ रुपये जमा किये गए और मार्च 2017 से आज तक पॉवर सेक्टर एम्प्लॉईस ट्रस्ट की एक भी बैठक नहीं हुई। यह बहुत सुनियोजित और गंभीर घोटाला है।
विवादास्पद कंपनी में जमा की गई कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई
यूपीपीसीएल के चेयरमैन को लिखे एक पत्र में अभियंता संघ ने कर्मचारियों के सामान्य भविष निधि (जीपीएफ) और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) से संबंधित धनराशि को निवेश करने के निर्णय पर सवाल उठाया है। पत्र में कहा गया है कि उप्र सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक विवादास्पद कंपनी में जमा की गई हजारों कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई वापस लाई जाए।
1600 करोड़ से अधिक की राशि अभी भी फंसी
संघर्ष समिति का कहना है कि अभी भी 1600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि डीएचएफएल में फंसी हुई है। सरकार यह धनराशि वापस लाए। हम सरकार से एक आश्वासन भी चाहते हैं कि जीपीएफ या सीपीएफ ट्रस्ट में मौजूद धनराशि को भविष्य में इस तरह की कंपनियों में निवेश नहीं किया जाएगा।
पत्र में कहा गया है कि (यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर एम्प्लॉई ट्रस्ट के) बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने सरप्लस कर्मचारी निधि को डीएचएफएल की सावधि जमा योजना में मार्च 2017 से दिसम्बर 2018 तक जमा कर दिया। इस बीच बंबई उच्च न्यायालय ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से उसके जुड़े होने की सूचना के मद्देनजर डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी।
ताक में रख दिए गए नियम
पत्र में कहा गया है कि ट्रस्ट के सचिव ने फिलहाल स्वीकार किया है कि 1,600 करोड़ रुपये अभी भी डीएचएफएल में फंसा हुआ है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी निधि को किसी निजी कंपनी के खाते में हस्तांतरित किया जाना उन नियमों का सरासर उल्लंघन लगता है, जो कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद के लिए इस निधि को सुरक्षित करते हैं।
दोषियों के खिलाफ की जाएगी कड़ी कार्रवाई–श्रीकांत शर्मा
उधर इस मामले में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने शनिवार को कहा कि डीएचएफएल में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यूपीपीसीएल के सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैं, किसी का कोई अहित न हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी।