परिषदीय स्कूलों की 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती जल्द पूरी होने के आसार नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भर्ती के कटऑफ अंक के संबंध में दाखिल याचिका पर अहम आदेश देते हुए 19 मार्च तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने सात जनवरी, 2019 को जारी उत्तीर्ण प्रतिशत यानी कटऑफ अंक के आदेश पर रोक दिया है। कोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र, प्रयागराज से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 19 मार्च को ही होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सीडी सिंह ने मनोरमा मौर्या की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने 21 मई, 2018 को शिक्षक भर्ती में सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ अंक 33 व एससी/एसटी के लिए 30 फीसद रखा था, जबकि 69 हजार भर्ती प्रक्रिया में इस कटऑफ अंक में बदलाव करते हुए सात जनवरी को नया शासनादेश जारी किया गया है। इसमें सामान्य को 65 व अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत कटऑफ अंक तय कर दिए गए।
याची ने इसे सरकार और परीक्षा संस्था का मनमाना आदेश करार देते हुए रद करने की मांग की। कोर्ट ने इस मुद्दे को विचारणीय माना और याचिका को रीना सिंह व अन्य की विचाराधीन याचिका के साथ पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अगली सुनवाई 19 मार्च को तय करते हुए तब तक के लिए भर्ती प्रक्रिया पर स्थगनादेश पारित किया। इससे परीक्षा संस्था व प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका लगा है।
हाईकोर्ट ने 68 हजार 500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में भूतपूर्व सैनिक कोटे में आरक्षण की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मुरादाबाद के सतीश कुमार की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता राकेश कुमार सोनी का कहना है कि याची अन्य पिछड़ा वर्ग का पूर्व सैनिक कोटे का अभ्यर्थी है, जिसने बीटीसी के साथ टीईटी पास किया है। उसने कृष्ण बाल विद्या मंदिर इंटर कालेज मगुपुरा मझोला, मुरादाबाद में परीक्षा दी। राज्य सरकार ने तीन अक्टूबर 1990 के शासनादेश से पूर्व सैनिक को विशेष आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था दी है, जिस पर विचार किए बिना याची को असफल घोषित कर दिया गया। याची की अभ्यर्थिता पर विचार नहीं किया गया।