लखनऊ, 19 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने ऋण माफी योजना में अपात्र किसानों का भी कर्ज माफ कर दिया था। इस तथ्य का खुलासा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में किया है। सीएजी की यह रिपोर्ट उप्र विधानमंडल के दोनों सदनों में भी शुक्रवार को प्रस्तुत की गई।
सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि अखिलेश सरकार ने ऋण माफी योजना के तहत 79.67 करोड़ रुपये का लाभ 16,184 अपात्र लाभार्थियों को भी दिया था। रिपोर्ट में दिया गया है कि प्रदेश के 75 में से 17 जिलों के नमूना लेखा परीक्षा में पाया गया कि योजना का लाभ पाने वाले किसानों में से तीन से 18 प्रतिशत तक यानी कुल 16184 किसान अपात्र थे, क्योंकि उन्होंने मूलधन का न्यूनतम 10 प्रतिशत तक भी जमा नहीं किया था। इन अपात्र लाभार्थियों को 79.67 करोड़ रुपये का लाभ मिला था।
अखिलेश सरकार ने वर्ष 2012 में ऋण माफी योजना लागू की थी। इसके तहत 50 हजार रुपये तक का कर्ज लेने वाले ऐसे छोटे व सीमांत किसानों का कर्ज माफ करना था, जिन्होंने मूलधन का कम से कम 10 प्रतिशत चुका दिया हो।
सीएजी रिपोर्ट यह तथ्य भी उजागर किया गया है कि अखिलेश सरकार ने कर्ज माफी योजना की कट-आॅफ तिथि भी बदल दी थी, जिसके कारण सरकार को 138 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय वहन करना पड़ा था।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना के औचित्य पर भी सवाल खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के पीछे का तर्क प्रश्नीय है क्योंकि यह उन किसानों पर लागू थी, जिन्होंने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक (यूपीएसजीवीबी) के पास अपनी जमीन गिरवी रखी थी। रिपोर्ट में दिया है कि ऋण वसूली के लिए भूमि की नीलामी की प्रथा यद्यपि 2007 में ही बंद की जा चुकी थी। अतः योजना का उद्देश्य यूपीएसजीवीबी को लाभ पहुंचाना था।