लखनऊ, 12 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार गुजरात और उत्तराखंड की तर्ज पर नये मोटर वाहन अधिनियम 2019 में निर्धारित जुर्माने की बढ़ी हुई दरों को कम करने पर मंथन कर रही है। फिलहाल सूबे में अभी पुरानी दरों पर ही जुर्माना वसूला जा रहा है।
परिवहन राज्य मंत्री अशोक कटारिया ने गुरूवार को बताया कि जनता को राहत व सहूलियत देना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए यातायात अपराधों पर लगने वाले जुर्माने की दरों के पुनर्निर्धारण पर मंथन किया जा रहा है। इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय अधिनियम में राज्य सरकारों को शमनीय अपराधों के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित जुर्माने की दर को अपने स्तर से घटाने-बढ़ाने का अधिकार है। हालांकि यूपी में अब भी शमनीय अपराधों पर उसी दर से जुर्माना लिया जा रहा है, जो प्रदेश सरकार ने बीते जून में लागू किया था। जून में ‘मोटरयान नियमावली-1988’ की धारा-200 में संशोधन करते हुए बिना नम्बर प्लेट, बिना हेलमेट और बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाहन चलाने जैसे मामलों में जुर्माने की राशि में वृद्धि की गई थी। इसके तहत पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना राशि में डेढ़ से तीन गुना तक की वृद्धि की गई थी।
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जुर्माने की दर संशोधित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसे जल्द कैबिनेट में लाया जा सकता है। संशोधित दर में आम लोगों को पहले की तुलना में कुछ राहत दी जाएगी। उन्होंने बताया कि वाहन चलाते समय उन अपराधों के जुर्माने की दर कम की जा सकती है, जो शमनीय श्रेणी के हैं।
दरअसल, नए मोटर वाहन संशोधन कानून के तहत नियम तोड़ने पर बढ़ी हुई जुर्माने को लेकर राज्य सरकारें भी विरोध में आ गई हैं। गुजरात सरकार ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कई मामलों में जुर्माने की राशि कम कर दी है। उत्तराखंड सरकार ने भी बढ़ी हुई जुर्माने की राशि 75 प्रतिशत घटा दी है। महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा चुनाव तक इसे टालने के संकेत दिए हैं, जबकि कर्नाटक के साथ राजस्थान सरकार ने जुर्माना घटाने का फैसला किया है। इसके अलावा कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब के साथ हिमाचल प्रदेश ने नए कानून को अधिसूचित नहीं किया है, जबकि बंगाल की ममता सरकार ने कानून लागू करने से मना कर दिया। देश की राजधानी दिल्ली में नए कानून के तहत जुर्माना वसूला जा रहा है, लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की गई है।