योगी सरकार ने फैसला वापस लिया, 17 एससी जातियां फिर पिछड़ा वर्ग में शामिल

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– हाईकोर्ट से रोक लगने पर प्रदेश सरकार को अपना ही फैसला पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा

– इससे पहले सपा और बसपा की सरकारें भी हो चुकी हैं नाकाम  

लखनऊ, 01 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को अपने ही फैसले को वापस लेकर अनुसूचित वर्ग में शामिल की गयी 17 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में फिर से शामिल कर दिया। प्रदेश सरकार के शासनादेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, इसलिए योगी सरकार को अपना ही फैसला पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

योगी आदित्यनाथ सरकार ने 29 जून को 17 पिछड़ी जातियों को लेकर एक बड़ा फैसला लेते हुए इन जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल कर दिया था। इन जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में शामिल करने के पीछे सरकार का कहना है कि यह जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं। अब इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इसके लिए जिला अधिकारियों को 17 जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया गया।शासनादेश जारी करके जिन पिछड़ा वर्ग की जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करके एससी प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए थे उनमें मल्लाह, निषाद, कुम्हार, कहार, धीवर, बिंद, भर, कश्यप, केवट, प्रजापति, तुरहा, गोड़िया, राजभर, धीमर, बाथम, माझी और मछुआ बिरादरी थी। 

सरकार के उक्त शासनादेश पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने सुनवाई शुरू की। इस दौरान 16 सितम्बर को उच्च न्यायालय ने पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने की अनुमति नहीं दी और प्रदेश सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। इसी के साथ प्रमुख सचिव (समाज कल्याण) मनोज कुमार सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा भी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद सरकार को यह निर्णय वापस लेना था। अब उत्तर प्रदेश सरकार 17 ओबीसी जातियों को एससी का सर्टिफिकेट नहीं दे सकेगी। सरकार के फैसला वापस लेने के बाद अब 17 जातियां ओबीसी वर्ग में ही रहेंगी। इससे पहले सपा और बसपा की सरकारों ने भी ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। 

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