शलखनऊ, 10 नवम्बर (हि.स.)। श्रीरामजन्मभूमि का सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद बहुत सारे लोग लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को उनके पौत्र राज्यमंत्री संदीप सिंह के बंगले पर तलाशते हुए पहुंचे। कल्याण सिंह को ‘बाबूजी’ के नाम से पुकारने वाले लोगों ने जब उन्हें लखनऊ में नहीं पाया तो काफी निराश हुए।
दो दशक पहले श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के नायकों में एक रहे कल्याण सिंह को आज भी लोग उसी तरह से देखते हैं। इसी आंदोलन के कारण कल्याण सिंह जेल गए और सन 92 में बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद उनकी सरकार तक बर्खास्त की गई। आंदोलन के दौरान उनके भाषण सुनकर भीड़ उत्साहित हो जाया करती थी। उनसे मिलने के लिए आने वाले लोग उन्हें ‘बाबूजी’ कहा करते थे। बाबूजी भी रोजाना सुबह से ही अपने समर्थकों की समस्या या परेशानियों को सुनने के लिए अपने आवास पर बैठ जाते थे। ऐतिहासिक तारीख नौ नवम्बर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो बहुत सारे लोगों ने ‘बाबू जी’ को तलाशते हुए राज्यमंत्री संदीप सिंह के बंगले का रुख किया लेकिन वहां पहुंचने पर पता चला कि बाबू जी तो दिल्ली गये हुए हैं और अगले सप्ताह लखनऊ आने पर ही मुलाकात हो सकेगी।
कल्याण सिंह को बाबूजी पुकारने वालो की संख्या हजारों में है और उन नामों में से एक नाम आलोक सिंह का है। आलोक सिंह ने बताया कि वह शनिवार को राज्यमंत्री संदीप सिंह के दो माल एवेन्यू बंगले पर पहुंचे थे। वे आज भी रामभक्तों के प्रिय हैं। सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि बाबू जी से भेंट नहीं हो पायी, इसलिए अब वापस लौट रहा हूं। कारसेवकों के लिए बाबूजी कल भी नायक थे और आज भी नायक हैं। उनके आने पर वे पुन: उनसे मिलने के लिए आवास पर आयेंगे।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माल एवेन्यू आवास पर आकर कल्याण सिंह से भेंट की थी। इस भेंट के कई मायने निकाले जा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले हुई मुलाकात आगे की कड़ी को जोड़ती है।